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*मदद करने का अनोखा अंदाज़*

मुहल्ले में बच्चों को पढ़ाने वाली अम्माजी के घर आटा और सब्जी नहीं है मगर वह सादगी से रहने वाली महिला बाहर आकर मुफ़्त राशन वाली लाइन में लगने से घबरा रही है।

फ्री राशन वितरण करने वाले युवाओं को जैसे ही यह बात पता चली उन्होंने जरूरतमंदों में फ्री आटा व सब्जी बांटना रोक दिया। पढ़े लिखे युवा थे आपस में राय व मशवरा करने लगे बातचीत में तय हुआ कि न जाने कितने मध्यवर्ग के लोग अपनी आंखों में ज़रूरत का प्याला लिए फ़्री राशन की लाइन को देखते हैं पर अपने आत्मसम्मान के कारण करीब नहीं आते।
राय व मशवरा के बाद उन्होंने फ़्री राशन वितरण का बोर्ड बदल दिया और दूसरा बोर्ड लगा दिया-
जिस में लिखा था कि *स्पेशल ऑफ़र:-*
हर प्रकार की सब्जी 15 रूपए किलो, मसाला फ़्री, आटा- चावल-दाल 15 रूपए किलो।
एलान देख कर भिखारियों की भीड़ छंट गई और मध्यवर्गीय परिवार के मजबूर लोग हाथ में दस बीस पचास रूपए पकड़े ख़रीदारी की लाईन में लग गए, अब उन्हें इत्मीनान था आत्मसम्मान को ठेस लगने वाली बात नहीं थी।
इसी लाइन में बच्चों को पढाने वाली अम्माजी भी अपने हाथ में मामूली रकम लेकर पर्दे के साथ खड़ी थीं उनकी आंखें भीगी हुई थी पर घबराहट ना थी। उनकी बारी आई सामान लिया पैसे दिए और इत्मीनान के साथ घर वापस आ गईं, सामान खोला देखा कि जो पैसे उन्होंने ख़रीदारी के लिए दिए थे वह पूरे के पूरे उनके सामान में मौजूद हैं। *नौजवानों ने उनका पैसा वापस उस समान के थैले में डाल दिए थे.*

युवक हर ख़रीदारी के साथ यही कर रहे थे यह सच है कि इल्म व सलीका जहालत और भोंडेपन पर भारी है।
मदद किजिए पर किसी के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाइए ज़रूरतमंद सफ़ेद कालर वालों का ख़्याल रखिए इज़्ज़तदार मजबूरों का आदर किजिए।
*और यकीन रखिए कि ईश्वर आप पर अधिक नजर रखता है।*

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